एनकांउटर में मारे गए विकास दुबे के मामा प्रेम कुमार की पत्नी और बहू ने पुलिस को कठघरे में खड़ा कर दिया, पोस्टमार्टम के बाद कर दिया अंतिक संस्कार
कानपुर।(www.arya-tv.com) चौबेपुर के बिकरू गांव में दबंगों और पुलिस के मुठभेड़ में सीओ समेत आठ पुलिस जवानों के शहीद होने की घटना में फरार चल रहे मोस्टवांटेड विकास दुबे के खिलाफ जुबान बंद किए ग्रामीणों के बीच उसके अपनों ने ही मुंह खोलना शुरू कर दिया है। घटना के दूसरे दिन एनकाउंटर में मारे गए विकास के मामा प्रेम कुमार पांडेय की पत्नी और बहू ने पुलिस और मीडिया के सामने कई राज खोलते हुए कहा- विकास ने हमारी गृहस्थी तबाह कर दी।
वह बेगुनाह थे, उनका कसूर केवल इतना था कि भाई विकास के डर से उनके साथ जाते थे। साथ ही सास और बहू ने पुलिस को भी कठघरे में खड़ा किया है और आरोप लगाते हुए पोस्टमार्टम के बाद जानकारी दिए बिना अंतिम संस्कार करके आखिरी बार चेहरा भी नहीं देखने दिया। मुठभेड़ में मारे गए प्रेम कुमार पांडे के परिवार को रविवार को जब यह पता चला कि उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया है तो पत्नी सुषमा पांडे और बहू वर्षा पांडे का धैर्य जवाब दे गया। उन्होंने सबसे पहले पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाए और आरोप लगाया कि पुलिस ने उनका अंतिम संस्कार कर दिया, एक बार उनका मुंह तक नहीं देखने दिया गया।
पूरी घटना में अगर कोई कसूरवार है तो वह विकास दुबे है। पुलिस विकास दुबे तक नहीं पहुंच पा रही है और बेगुनाह लोगों पर कार्रवाई कर रही है। पुलिस के साथ मुठभेड़ में मारे गए हिस्ट्रीशीटर विकास दुबे के मामा प्रेम प्रकाश और चचेरे भाई अतुल के शव लेने स्वजन नहीं पहुंचे थे। पुलिस का पक्ष है कि पोस्टमार्टम कराने के बादसूचना भिजवाई तो कुछ रिश्तेदारों ने पहुंचकर सुपुर्दगी तो ले ली, लेकिन अंतिम संस्कार कराने से असमर्थता जता दी। इसके बाद पुलिस ने दोनों शव भैरोघाट ले जाकर क्रियाकर्म कराया।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट के मुताबिक मुठभेड़ में विकास के मामा प्रेम प्रकाश पांडेय उर्फ प्रेम कुमार के सीने और पेट में चार गोलियां लगी थीं। वहीं चचेरे भाई अतुल के सीने, पेट और कमर से आठ से दस गोलियां आर-पार हो गई थीं। अत्यधिक खून बहने से दोनों की मौत हुई। शनिवार सुबह दस बजे दोनों का पोस्टमार्टम हुआ, लेकिन उनके परिवार से कोई नहीं पहुंचा।
अधिकारियों के मुताबिक पुलिस बिकरू गांव स्थित दोनों के घर गई, लेकिन परिवारीजनों ने आने से इन्कार कर दिया। इसके बाद पुलिस के कहने पर चार महिलाएं और तीन पुरुष रिश्तेदार पहुंचे और शवों की सुपुर्दगी ली, लेकिन शव गांव ले जाने और अंतिम संस्कार कराने से मना कर दिया। इसके बाद पुलिस की मदद से शवों को भैरोघाट पहुंचाया गया। यहां रिश्तेदारों की मौजूदगी में विद्युत शवदाह गृह में उनका अंतिम संस्कार हुआ।
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