सुधार की राह: सरकारी बॉन्ड में रिटेल इन्वेस्टर



रिजर्व बैंक ने बीते शुक्रवार छोटे निवेशकों को डायरेक्ट ऑनलाइन ऐक्सेस के जरिए सरकारी बॉन्ड खरीदने की इजाजत देने की बड़ी घोषणा की। उम्मीद है कि यह कदम न केवल सरकार के संसाधनों में इजाफा करके इकॉनमी को गति देने की उसकी कोशिशों को मजबूती देगा बल्कि छोटे निवेशकों को सुरक्षित निवेश का एक अच्छा विकल्प भी मुहैया कराएगा। 

संसद में पेश आर्थिक सर्वे और फिर 2021-22 के बजट से साफ है कि सरकार की योजना इन्फ्रास्ट्रक्चर के मद में निवेश अधिकाधिक बढ़ाकर इकॉनमी को मंदी के दौर से निकालने और विकास की रफ्तार तेज करने की है। जाहिर है, इसके लिए उसे अपने वित्तीय संसाधन बढ़ाने के नए इंतजाम करने पड़ेंगे। 

2020-21 और 21-22 के बढ़े हुए वित्तीय घाटे के अनुमान को ध्यान में रखें तो सरकार को इन दोनों वर्षों में क्रमश: 12.8 लाख करोड़ और 12 लाख करोड़ रुपये उधार लेने होंगे। रिजर्व बैंक का ताजा फैसला इस मामले में सरकार की मुश्किल आसान कर सकता है। इससे इन्वेस्टर बेस बड़ा होगा और सरकार को बड़ी परियोजनाओं के लिए धन जुटाने का एक और जरिया मिल जाएगा।

जहां तक निवेशकों का सवाल है, सुरक्षित निवेश के पारंपरिक ठिकाने जैसे जमीन, फ्लैट और सोना वगैरह अब सुरक्षित नहीं माने जा रहे हैं क्योंकि पैसा कहीं भी फंस सकता है। रियलिटी सेक्टर की बदहाली जगजाहिर है और सोने के भाव ने जिस तेजी से 50 हजार रुपये प्रति दस ग्राम की रेखा पार की है, उसे देखते हुए निवेशक की यह आशंका स्वाभाविक है कि इतने महंगे रेट के सोने या गोल्ड ईटीएफ में पैसा लगाने से कहीं लेने के देने न पड़ जाएं। 

रिटेल इन्वेस्टर्स की सरकारी बॉन्ड्स तक सीधी पहुंच बनाने की यह पहल सुरक्षित निवेश का ठिकाना ढूंढ रहे छोटे निवेशकों के लिए मुंहमांगी मुराद पूरी होने जैसी है। लेकिन ढांचागत सुधार के इस महत्वपूर्ण फैसले के साथ कुछ जोखिम भी जुड़े हुए हैं। अव्वल तो यही देखना होगा कि इससे निवेशकों का उत्साह वास्तव में बढ़ता भी है या नहीं।

छोटे निवेशकों के पास अप्रत्यक्ष ढंग से ही सही पर बॉन्ड में निवेश करने का डेट फंड वाला विकल्प तो अब भी है ही। उसकी राह अब पहले के मुकाबले आसान जरूर हो रही है। ऐसे में अगर निवेशक सचमुच इस विकल्प की तरफ खिंचते हैं तो एक सवाल यह रहेगा कि कहीं इसका असर बैंकों की जमा पर न पड़े। 

यानी रिटेल इन्वेस्टर इसे बैंक डिपॉजिट्स का विकल्प न बनाने लग जाएं। हालांकि आरबीआई ने इस डर को खारिज किया है। इसमें कोई दो राय नहीं कि रिजर्व बैंक सुधार की उस राह पर कदम बढ़ा रहा है जिसके बारे में ज्यादा कुछ पता नहीं है। अमेरिका के अलावा ब्राजील दुनिया का वह इकलौता देश है जहां यह कदम उठाया गया है। जाहिर है, हमें अपने देश की स्थितियों और यहां की जरूरतों के अनुरूप अपने अनुभव से सीखते हुए बढऩा है। उम्मीद करें कि रिजर्व बैंक इस दिशा में हर नई पहल को लेकर पर्याप्त सावधानी बरतेगा।

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