नेपाली पीएम केपी ओली का बड़ा बयान, भारत के साथ बढ़ी गलतफहमी, बातचीत से हल होगा सीमा विवाद

 


काठमांडू। नेपाल में चल रहे सियासी उठापटक के बीच प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने कहा कि भारत के साथ चल रहे सीमा विवादों को कूटनीतिक बातचीत के जरिए हल किया जाएगा। नेपाल और भारत ने पिछले महीने नई दिल्ली में मंत्रिस्तर की वार्ता की थी लेकिन हल नहीं निकला था। ओली ने यह टिप्पणी नेपाली सेना की ओर से 'नेपाल की अंतर्राष्ट्रीय सीमा सुरक्षा और सीमा प्रबंधन संबंधित एजेंसियों के बीच समन्वय शीर्षक पर आयोजित सेमिनार में की।

रक्षा मंत्री का पद भी संभालने वाले ओली ने तर्क दिया कि पड़ोसी देशों के साथ संबंध सौहार्दपूर्ण बनाए जा सकते हैं। उन्होंने कहा, 'नेपाल-भारत के संबंधों को सौहार्दपूर्ण ढंग से मजबूत करने के लिए हमें मानचित्र प्रिंट करना होगा और भारत से बात करनी होगी। हमारे संबंध केवल बातचीत के जरिए ही सौहार्दपूर्ण हो सकते हैं। नेपाल और भारत का सुस्ता और कालापानी क्षेत्र में सीमा को लेकर विवाद लंबे समय से चल रहा है।

नेपाल ने विवादित क्षेत्र को शामिल किया

वर्ष 2014 में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नेपाल यात्रा के दौरान दोनों पक्षों ने विदेश सचिवों के स्तर पर विवाद को हल करने के लिए प्रतिनिधिमंडल भेजे थे, लेकिन वे मिल नहीं पाए। इसके बाद नवंबर 2019 में नई दिल्ली ने कालापानी को अपने क्षेत्र में शामिल करते हुए एक नया राजनीतिक मानचित्र बनाया। नेपाल ने भारत के इस कदम पर आपत्ति जताई और बाद में नेपाल ने विवादित क्षेत्र को शामिल करते हुए नया राजनीतिक मानचित्र पेश कर दिया, जिसे भारत ने अस्वीकार कर दिया था।

सेमिनार को संबोधित करते हुए ओली ने कहा कि तथ्यों और सबूतों के आधार पर लिंपियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी के मुद्दे पर भारत के साथ खुली और मैत्रीपूर्ण बातचीत होगी। उन्होंने कहा, 'हमें अपने क्षेत्र को बनाए रखना चाहिए। सीमाओं को लेकर कुछ पुरानी अनसुलझी समस्याएं रही हैं। लिम्पियाधुरा, लिपुलेख और कालापानी का मुद्दा पिछले 58 सालों से अधर में लटका हुआ है।

उस समय के शासकों ने घुसपैठ के खिलाफ बोलने की हिम्मत नहीं थी और तब हमें चुपचाप विस्थापित होने के लिए मजबूर होना पड़ा था। यह भी सच है कि हमारे कदम से भारत के साथ गलतफहमी बढ़ गई है लेकिन हमें किसी भी कीमत पर अपने क्षेत्र पर दावा करना होगा।

सीमा सुरक्षा एजेंसियों को बहुत ज्यादा सतर्क रहना चाहिए

प्रधानमंत्री ने कहा कि सीमा मामलों के अधिक संवेदनशील होने पर सीमा सुरक्षा एजेंसियों को बहुत ज्यादा सतर्क रहना चाहिए। उन्होंने संबंधित अधिकारियों को नेपाली क्षेत्रों में घुसपैठ रोकने के निर्देश दिए और नो-मैन्स लैंड का दुरुपयोग होने से रोकने पर विशेष ध्यान देने को कहा।

उन्होंने कहा, 'जब हमने अपने क्षेत्र पर दावा किया तो हमें चेतावनी दी गई और कहा गया कि सीमा विवादों को सुलझाने के लिए भविष्य में बातचीत होगी। जब कोई सीमा सुरक्षा नहीं होगी तो कोई देश कैसे सुरक्षित रह सकता है? हमने सुरक्षा नीति को लागू करने के लिए एक कार्य नीति तैयार की है।

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